Monday 19 May 2014

"मुमकिन है की कल हम न मिलें" - प्राची


इंतज़ार इतना भी न दो, 
की इन आँखों में इश्क़ का गम न मिले
मुमकिन है इन रहो में
तुम्हे कल हम न मिले..

ज़िन्दगी हा छोटी ,
वक़्त भी कम है
रहे है बहुत ,
और हमसफ़र भी क्या कम है,
मगर मुमकिन है की,
कल इन नयी राहों में
तुम्हे हम न मिले,,,,,

कल जब छुओगे उन ऊंचाइयों को ,
और पा लोगे उन मंज़िलों को
सब कुछ होगा तुम्हारे पास 
हर कोई देगा तुम्हारा साथ
पर मुमकिन है की
उन पलों को बांटने
 कल हम न मिले,

बढ़ चले हम आगें
खूबसूरत यादों का कारवां लिए
ढूंढने एक नयी मंज़िल
और एक नया हमसफ़र
क्यूंकि.....
मौत तो आणि है एक दिन
पर उससे पहले
जीने के लिए 
कुछ पल काम न मिले.....

2 comments:

  1. Nice, touchy and truth! Good going

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    1. thanks!! your every appreciation keeps me going.

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